महत्वाकांक्षा का दौर
उठती हुई आयु, बढ़ता आवेश नए-रक्त का अनुदान है। इन दिनों व्यक्ति भावुक भी रहता है उत्तेजित भी। बढ़ोत्तरी के दिनों में साहस भी बढ़ना स्वाभाविक है और महत्वाकांक्षा का दौर भी। ये सब उपलब्धियाँ उत्साहवर्द्धक हैं। बढ़ोतरी के दिनों में ऐसा होना उचित भी है। स्थिरता और समझदारी परिपक्वता आने पर ही उभरती है। किशोरावस्था में भी जोश अधिक होश कम होता है। इसलिए इन दिनों इस आयु के बालकों का विशेष रूप से संरक्षण, मार्गदर्शन एवं नियंत्रण आवश्यक होता है। यदि स्वेच्छाचारित बरती जाने लगे तो उसमें किशोरकाल की अनुभवहीनता के कारण सर्वनाश होता है।
Rising age, increasing passion is the grant of new blood. These days a person remains emotional as well as excited. It is natural to increase courage in the days of growth and also in the period of ambition. All these achievements are encouraging. It is also appropriate to do so during the growing days. Stability and understanding emerge only with maturity. Even in adolescence, enthusiasm is more and less senses. Therefore, these days it is especially necessary to protect, guide and control the children of this age. If voluntary action is taken, then due to the inexperience of the teenage years, there is destruction.
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ज्ञान की निधि वेद वेद ज्ञान की अमूल्य निधि एवं धरोहर है। इनमें आंलकारिक प्रसंग से जटिल विषय को सरल करके समझाया गया है। देश का एवं मानवजाति का दुर्भाग्य है कि महाभारत के पश्चात वेदों के पठन-पाठन की परम्परा छूट गई तथा चारित्रिक कुरीतियाँ प्रचलित हो गई जो हमारे पतन का तथा वैदिक सभ्यता के उपहास का कारण बनी। इन कुरीतियों को...