चिकित्सा का मूल सिद्धांत
प्राकृतिक चिकित्सा का मूल सिद्धांत है कि सब रोग एक अर्थात विजातीय द्रव्य (फारेनमैटर) उत्पन्न होना सबका उपचार एक अर्थात विजातीय द्रव्य बाहर निकालना है। प्राकृतिक चिकित्सा प्रकृति के अनुरूप चलने की कला है। यह कला सीख लेने के बाद व्यक्ति अपना स्वयं का उपचार खुद ही कर लेने का आत्मविश्वास जगा लेता है। प्राकृतिक चिकित्सा के विविध आयामों में उपवास (जलोपवास), फलाहार, रसाहार, विश्राम, योगासन, प्राणायाम, टहलना, मिट्टी, पानी, धुप और हवा के माध्यम से शरीर को विकार रहित बनाने का प्रयास होता है।
The basic principle of naturopathy is that all diseases are one i.e. the generation of foreign matter, the treatment of all is to remove the one i.e. foreign matter. Naturopathy is the art of living in harmony with nature. After learning this art, a person wakes up the confidence to do his own treatment on his own. Various aspects of naturopathy include fasting (jalopavas), fruit diet, rasahara, relaxation, yogasana, pranayama, walking, trying to make the body disorder-free through mud, water, sunlight and air.
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ज्ञान की निधि वेद वेद ज्ञान की अमूल्य निधि एवं धरोहर है। इनमें आंलकारिक प्रसंग से जटिल विषय को सरल करके समझाया गया है। देश का एवं मानवजाति का दुर्भाग्य है कि महाभारत के पश्चात वेदों के पठन-पाठन की परम्परा छूट गई तथा चारित्रिक कुरीतियाँ प्रचलित हो गई जो हमारे पतन का तथा वैदिक सभ्यता के उपहास का कारण बनी। इन कुरीतियों को...