लक्ष्य का निर्धारण
समाज के अधिकांश व्यक्तियों का जीवनक्रम लक्ष्यविहीन होता है। सफल व्यक्तियों को देखकर उनका मन भी वह सौभाग्य प्राप्त करने के लिए ललचाता है। कभी एक दिशा में बढ़ने की सोचते हैं और कभी दूसरी। विद्वान को देखकर विद्वान, कलाकार को देखकर कलाकार बनाने की ललक उठती है। कभी धनवान होने और कभी बलवान बनने की बात सोचते हैं। अपना कोई एक सुनिश्चित लक्ष्य नहीं निर्धारित कर पाते। बंदर की भाँति उनका मन भटकता रहता है। फलतः एक दिशा में क्षमताओं का नियोजन नहीं हो पाता। बिखराव के कारण कोई प्रयोजन पूरा नहीं हो पाता। असफलता ही हाथ लगती है।
The life course of most of the people in the society is aimless. Seeing successful people, their mind also tempts them to get good luck. Sometimes think of moving in one direction and sometimes the other. Seeing the scholar, seeing the scholar, seeing the artist, the urge to become an artist arises. Sometimes they think of getting rich and sometimes becoming strong. They are unable to set any one definite goal. His mind wanders like a monkey. As a result, the planning of capabilities is not possible in one direction. Due to scarcity, no purpose can be fulfilled. Failure is just a hand.
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ज्ञान की निधि वेद वेद ज्ञान की अमूल्य निधि एवं धरोहर है। इनमें आंलकारिक प्रसंग से जटिल विषय को सरल करके समझाया गया है। देश का एवं मानवजाति का दुर्भाग्य है कि महाभारत के पश्चात वेदों के पठन-पाठन की परम्परा छूट गई तथा चारित्रिक कुरीतियाँ प्रचलित हो गई जो हमारे पतन का तथा वैदिक सभ्यता के उपहास का कारण बनी। इन कुरीतियों को...