नारी में असीम कार्यशक्ति
वास्तविकता यह है कि महिलाएँ प्रकृतिप्रदत्त विषेशताओं का उपयोग करते हए अवांछनीयताओं के कारण समाज में उत्पन्न हुई समस्याओं का सहज ही समाधान कर सकती हैं। नारी में असीम कार्यशक्ति है। आवश्यकता केवल उसके जगने भर की है। बालक को वह केवल अस्थि-मज्जा ही नहीं देती, अपने विचार, आस्थाएँ और मान्यताएँ भी संस्काररूप में उसकी धमनियों में प्रवाहित करती है। जैसे माँ के विचार और संस्कार होंगे, बालक भी वैसा ही बनेगा। परिवार का वातावरण अच्छा होगा तो बालक भी सद्गुणी बनेगा। माता की शिक्षा के अनुरूप ही बालक के चरित्र का निर्माण होगा।
The reality is that women can easily solve the problems that have arisen in the society due to undesirables by using the specialties given by nature. Woman has immense power. The need is only for his awakening. She not only gives bone-marrow to the child, she also carries her thoughts, beliefs and beliefs in the form of sanskar in his arteries. Just like the thoughts and values of the mother, so will the child become. If the family environment is good, then the child will also become virtuous. The character of the child will be formed according to the education of the mother.
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ज्ञान की निधि वेद वेद ज्ञान की अमूल्य निधि एवं धरोहर है। इनमें आंलकारिक प्रसंग से जटिल विषय को सरल करके समझाया गया है। देश का एवं मानवजाति का दुर्भाग्य है कि महाभारत के पश्चात वेदों के पठन-पाठन की परम्परा छूट गई तथा चारित्रिक कुरीतियाँ प्रचलित हो गई जो हमारे पतन का तथा वैदिक सभ्यता के उपहास का कारण बनी। इन कुरीतियों को...