नारी की स्थिति
नारी की जो स्थिति है; उसकी दयनीय और दुर्भाग्यपूर्ण दुर्दशा है; उसके कारणों पर विचार किया जाए तो तमाम पुरुषों पर इस तरह की कलंक-कालिमा पुती हुई है। नारी की वर्तमान स्थिति दयनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है; इसमें कोई दो राय नहीं है। दयनीय तो इसलिए कि उसे मनुष्योचित अधिकारों से वंचित कर दिया गया है। अब तक उसके गले में जंजीर, पावों में बेड़ियाँ और चहारदीवारी में कैद प्रतिबंध हैं। दुर्भाग्यपूर्ण इसलिए कि सब तरह से उस पर लगे प्रतिबंधों का अनौचित सिद्ध होने के बाद भी उन्हें स्वाभाविक ही समझा जा रहा है। सब जानते हैं कि नारी योग्यता, प्रतिभा, क्षमता और सामर्थ्य में पुरुष से किसी भी तरह उन्नीस नहीं है; फिर भी घर तक ही सिमित रहने, बच्चे पैदा करने और घर की रखवाली करने भर के लिए उपयोगी समझा जाता है।
The status of women; His pathetic and unfortunate plight is; If we consider the reasons for this, then all men have been tainted with such stigma. The present condition of women is pathetic and unfortunate; There is no doubt about it. It is pathetic because he has been denied human rights. Till now he has chains around his neck, fetters in his feet, and restrictions confined within the boundary wall. Unfortunate because even after all the restrictions imposed on him have been proved to be unfair, they are being treated as natural. Everyone knows that a woman is by no means nineteen to a man in ability, talent, ability and power; Still, it is considered useful to be confined to the house, to bear children and to take care of the house.
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ज्ञान की निधि वेद वेद ज्ञान की अमूल्य निधि एवं धरोहर है। इनमें आंलकारिक प्रसंग से जटिल विषय को सरल करके समझाया गया है। देश का एवं मानवजाति का दुर्भाग्य है कि महाभारत के पश्चात वेदों के पठन-पाठन की परम्परा छूट गई तथा चारित्रिक कुरीतियाँ प्रचलित हो गई जो हमारे पतन का तथा वैदिक सभ्यता के उपहास का कारण बनी। इन कुरीतियों को...